शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

यात्रा: हिमाचल, पंजाब और हरियाणा की देविओं की - भाग २

यात्रा का प्रथम दिवस – देवी तालाब, जालंधर

दिल्ली में लोदी कालोनी, गौतम नगर, पालम, महावीर इन्क्लेव, डाबरी मोड, पीरागढ़ी, बादली, आदि स्थानों से सभी यात्रियों को लेते हुए बस आगे बढ़ती रही और करीब ८:०० बजे हम दिल्ली के बाहर हरियाणा में दाखिल हुए |

  २८ मार्च की सुबह की धूप धीरे धीरे तेज हो रही थी | ओमाक्स सिटी के बाहर एक लॉन है जिसमें स्प्रिन्कलर घूमते हुए पानी फ़ेंक रहा था और पास ही वृक्षों की एक कतार थी | बस रुकी और सभी यात्री उतर गए | दरियां बिछा दी गयीं | कुछ लोग टहलने लगे और कुछ  पेड़ों के तले आराम करने लगे | बच्चे स्प्रिंकलर के पानी के साथ खेलने लगे | इसी समय रसोइयों ने बढियां चाय और पाव-भाजी का नास्ता परोस दिया | नाश्ते के बाद बस फिर चल पड़ी | 

पंजाब की सीमा पहुँचने तक अपरान्ह २:३० बज गए थे | दोपहर के भोजन के लिए एक ढाबे के पर बस रुकी | कुशल रसोइयों ने तुरत-फुरत में पूड़ी-सब्जी बना कर सबको भोजन करा दिया | भोजन परोसने में सभी की बारी-बारी से भागीदारी रही | एक पंक्ति के लोग भोजन कर चुकने के बाद दूसरी पंक्ति को परोसते | बच्चों में भोजन पसोराने का खासा उत्साह था | यहाँ से बस चली तो ५ बज गए थे | ७ बजे शाम हम थोड़ी देर के लिए लुधियाना के पहले मंजी साहिब खोटन गुरूद्वारे के पास रुके और फिर ९ बजे रात देवी तालाब मंदिर जालंधर पहुँचे | यहाँ पर देवी त्रिपुरमालिनी का सिद्ध शक्तिपीठ है |

जब भगवान शंकर दक्ष के यज्ञ को विध्वंस कर सती देवी के शरीर को लेकर हिमालय की ओर जा रहे थे तब उनका मोह भंग करने के लिए भगवान विष्णु ने चक्र से देवी के अंगों को काटना शुरू किया था और देवी के अंग रास्ते में जहाँ-जहाँ गिरे वहाँ सिद्ध-शक्ति पीठों के रूप में देवी का स्थान बना | जालंधर में देवी का इसी स्थान पर स्तन गिरा और यहाँ देवी का सिद्ध शक्तिपीठ बना | यहाँ भगवती देवी त्रिपुरमालिनी के नाम से विख्यात हुईं और भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को पूरा करती है | मंदिर के पास बाद में एक तालाब का निर्माण हुआ और इसके मध्य देवी का एक और मंदिर बना और यह स्थान देवी तलब के नाम से प्रसिद्द हुआ है | तालाब के चारों कोनों पर देव प्रतिमाएं हैं और स्वर्ण मंडित कलश के साथ मंदिर में माँ भगवती की मनोहारी विग्रह है | यहाँ भजन-कीर्तन आदि चलता रहता है और दर्शकों का तांता लगा रहता है | तालाब का पानी पूर्णतः स्वच्छ है तथा उसमें मछलियाँ विचरण करती हैं | इसमें स्नान वर्जित है | तालाब के दक्षिण पूर्वी कोने पर काली देवी का और दक्षिण पश्चिम कोने पर माता वैष्णो देवी के मंदिर हैं | यहाँ अन्य मंदिर भी है | पूरे प्रांगण में स्थित मंदिरों को देखने के लिए २-३ घंटे का समय लगता है | हमने जल्दी-जल्दी मुख्य मंदिरों में दर्शन किया | मान्यता है कि जालंधर में ही जालंधर का विष्णु भगवान ने संहार किया था | जालंधर के नाम से ही शहर का नाम पड़ा |

१० बजे के करीब हम यहाँ से आगे बढे | रात करीब ११ बजे बस पंजाब – जम्मू सीमा पर लखनपुर पहुंची | यहाँ थोड़ी ठंढक महसूस हुई | एक बंद हो चुके रेस्ट्रां के पास बस रुकी और सभी नीचे उतरे | यहाँ एक नहर बहती है जिसके किनारे खड़े होकर हवा के ठन्डे झोंकों का सबने आनंद लिया | रात का भोजन बना और सबने भोजन और थोड़ी देर विश्राम किया | रात १२ बजे बस जम्मू की सीमा में दाखिल हुई | एक दिन का टैक्स बचाने के लिए टूरिस्ट बसें इसी समय सीमा पार करती हैं | हमारा अगला पड़ाव कटरा था | जहाँ से अगले दिन हमें वैष्णो देवी जाना था |